भूत करते हैं इस मंदिर की रखवाली
भूत करते हैं इस मंदिर की रखवाली
यूपी के वृन्दावन में एक मन्दिर ऐसा भी है जिसकी रखवाली भूत करते हैं। इसी के बाद से इसका नाम भूतों का मंदिर रख दिया गया। लोगों का मानना है कि मुगल शासक ओरंगजेब की बुरी नजर इस मंदिर पर पड़ गई थी। उसने इसके 4 फ्लोर गिरवा दिए। इसके बाद लंबे अर्से तक यहां किसी मूर्ति की स्थापना नहीं हो सकी। लोगों का मानना है कि उसके बाद से मंदिर को भूतों ने अपना अड्डा बना लिया। तब से आज भूत उस मंदिर की रखवाली करते आ रहे हैं।
स्थानीय लोगों की माने तो गोविंद देव का यह मंदिर वृंदावन के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। मंदिर के सामने ही पूजा सामग्री की दूकान चलाने वाले पवन शर्मा ने बताया कि यह मंदिर जयपुर के राजा मान सिंह ने 1590 में बनवाया था। मंदिर में 7 फ्लोर थे और इसी फ्लोर पर एक बड़ा सा दीपक बनवाया गया था।

दुकानदार पवन ने बताया कि यहाँ के इतिहास के अनुसार इस मंदिर में रोजाना 50 किलो देशी घी से दिए जलाए जाते थे। इसकी लौ आगरा से दिखाई पड़ती थी।

एक बार मुगल शासक औरंगजेब की नजर इस पर पड़ गई तो उसने इसके बारे में पता किया औरंगजेब ने कहा कि जब इतनी बड़ी मस्जिद पूरे भारतवर्ष में नहीं हैतो इस मंदिर में कैसे रह रह सकती है। उसने उस मंदिर को तोड़ने का आदेश दे दिया।

इसके बाद भगवान श्री कृष्ण जी की मूर्ति राजस्थान के जयपुर जिले में दुसरे मंदिर में स्थापित करा दी गई जो आज गोविंदा वल्लभ मंदिर के नाम से मशहूर है। मंदिर में रहने वाले संत ने बतायाफी समय तक यह मंदिर बंद पड़ा था। क्योंकि यहाँ मूर्तियाँ नहीं थी। इसके बाद यह कहा जाने लगा की इस मंदिर में भूत हैं। जो इस मंदिर की रखवाली करते हैं।

लेकिन ये सब बातें गलत हैं । मुगल शासन काल के बाद इस मंदिर में मूर्तियां स्थापित कराई गई हैं। उसी के बाद से पूजा-पाठ शुरू हो सका। अब यहां श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता हैं।

मथुरा में भगवान श्री कृष्ण के जन्म स्थान के पास ही बनवाई गई मस्जिद उसी पत्थर से बनी है जो वृंदावन के इस गोविंदा देव के मंदिर को तोड़ने से निकल गये थे। मंदिर में मौजूद संत ने बताया औरंगजेब ने मंदिर के चारों फ्लोर के टूटने के बाद जो पत्थर निकला था। उसी से वह मस्जिद बनवाई थी। इसके अनुसार उस मस्जिद के पत्थर और गोविंदा देव मंदिर के पत्थर बिलकुल एक जैसे हैं।

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