सलमान खान की आने वाली फिल्म 'ट्यूबलाइट' 23 जून को रिलीज हो रही है। इस फिल्म के पोस्टर में आपने देखा होगा कि सलमान अपने गले में जूते लटकाए हुए नजर आ रहे हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि ये जूते किसने बनाये हैं। इन जूतों को बनाने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। दरअसल, यह फिल्म मसूरी में शूट तो नहीं हुई लेकिन इसका वहां से गहरा कनेक्शन है। जुलाई, 2016 में मसूरी कैंटोनमेंट (छावनी) में काम करने वाले शूमेकर किशन के पास एक फोन आया। यह फोन फिल्म के डायरेक्टर कबीर खान का था। उन्होंने किशन से कहा- आपको 1950-60 के दशक के जूते बनाने हैं।
किशन के मुताबिक़, कुछ सालों पहले डायरेक्टर कबीर खान मसूरी घूमने आए थे। इस दौरान वो मेरी दुकान पर आए और उन्हें यहां एक सैंडल काफी पसंद आई, जिसे वो साथ ले गए थे। इसके बाद जुलाई, 2016 में एक दिन मेरे पास उनका फोन आया। उन्होंने कहा कि उन्हें 50-60's के करीब 4-5 जोड़ी जूतों के डिजाइन चाहिए। ये जूते 8 या 9 नंबर के होने चाहिए। फिर मैंने 18 जुलाई को ही उन्हें 4-5 बेहतरीन डिजाइन वाले जूते कोरियर के जरिये भेज दिए।
कोरियर मिल्टने के बाद जब उन्होंने उन जूतों को देखा तो वो उनको बहुत पसंद आये।इसके बाद उन्होंने मुझे फोन किया और बोले, हमें 8 नंबर के 12 जोड़ी जूते और चाहिए।इन्हें कुल्लु-मनाली भिजवाना है, जहां फिल्म की शूटिंग (नवंबर, 2016 में) चल रही है।इसके बाद करीब एक हफ्ते में हमने 12 जोड़ी जूते तैयार किए और उन्हें देहरादून से हरिद्वार-कुल्लु बस से शूटिंग प्लेस पर भेज दिए। जब किशन ने अखबार में छपे फिल्म 'ट्यूबलाइट' के पोस्टर में सलमान के गले में जूते देखे तो वो खुशी से झूम उठे। किशन के मुताबिक, मैं ये तो जानता था कि मेरे बनाए जूते फिल्म में इस्तेमाल होंगे लेकिन इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि इसे सलमान खान पहनेंगे।
किशन के मुताबिक़, एक बार सचिन भी उनकी दुकान पर जूते खरीदने के लिए आये थे।हमने सादे पेपर पर सचिन का पैर रखकर उनका नाप लिया। इसके बाद कुछ ही दिनों में हमने उनकी नाप (7 नंबर) और पसंद के मुताबिक जूता तैयार कर दिया। नॉर्मली हम एक जोड़ी जूते के 2500 रुपए चार्ज करते हैं लेकिन सचिन ने हमारे काम से खुश होकर 10 हजार रुपए दिए थे। किशन के मुताबिक अरशद वारसी, टॉम आल्टर, पॉलिटिशियन बृंदा करात, हॉटेलियर संजय नारंग जैसे सेलेब्रिटी भी मेरी दुकान से जूते खरीद चुके हैं।
कौन हैं किशन
किशन की फैमिली शूमेकिंग का काम पिछले कई सालों से कर रही है। किशन चौथी पीढ़ी के हैं, जो अपना पुश्तैनी काम देख रहे हैं। किशन की फैमिली (पुरखे) बेसिकली मध्यप्रदेश के भिंड-मुरैना की है। बाद में वो ग्वालियर और ब्रिटिशकाल में माइग्रेट होकर मसूरी शिफ्ट हो गई। इसके बाद से उनकी कई पीढ़ियां यहां यह बिजनेस कर चुकी हैं, जिसे अब खुद किशन संभाल रहे हैं। किशन का सरनेम 'मुरेना' उनके मूलत: मध्यप्रदेश के भिंड-मुरैना का होने की वजह से ही पड़ा। मसूरी कैंटोनमेंट के लैंडोर बाजार में किशन की शॉप है। किशन ज्यादातर यहां डिंगो लेदर बूट बनाते हैं।
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